Monday 24 December 2018

साइना नेहवाल ने किया खुलासा- पारुपल्ली कश्यप को कब दे बैठी थीं अपना दिल

  newsone0541       Monday 24 December 2018

इसी साल जकार्ता में खेले गए एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारत की महिला बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने कहा है कि उस दौरान पारुपल्ली कश्यप ने उनकी काफी मदद की थी। साइना ने कहा कि कश्यप चोटिल थे, लेकिन फिर भी वह अभ्यास के दौरान कोर्ट पर आते थे और उनकी मदद भी करते थे। साइना ने माना कि कश्यप कई बार उन पर चिल्लाते भी थे। हाल ही में साइना और कश्यप परिणय सूत्र में बंधे हैं। साइना ने समाचार चैनल न्यूज-18 के साथ बातचीत में एशियाई खेलों के दौरान कोच पुलेला गोपीचंद और अपने पति कश्यप के योगदान के बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि गोपी सर काफी शांत हैं। वह चिल्लाते हैं, लेकिन यह हर दिन नहीं होता है। हम जब अच्छा करते हैं तो वह खुश होते हैं।’

पारुपल्ली कश्यप से साल 2000 में मिली थीं साइना
साइना ने बताया कि वह साल 2000 में पहली बार 10 साल की उम्र में कश्यप से मिली थीं और 2010 के दौरान उन्हें पहली बार लगा था कि कश्यप वह शख्स हैं जिन्हें वह अपना जीवनसाथी बना सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं कश्यप से पहली बार 2000 में मिली थी। हम हैदराबाद में शिविर में थे। हम अभ्यास कर रहे थे और ज्यादा बात नहीं करना चाहते थे क्योंकि मेरा अलग ग्रुप था और उनका अलग। एशियाई खेलों के दौरान कश्यप चोटिल थे लेकिन वह मुझे हारते हुए नहीं देख सकते थे। उन्हें लगा था कि लय बदल सकती है और मैच के परिणाम भी। मैंने उन्हें चोटिल होने के बाद भी स्टेडियम में आते देखा। उन्हें पीठ में चोट लगी थी और छह सप्ताह तक आराम करना था। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं तुम्हें इस तरह से देखूं इससे अच्छा है कि मैं यहां आकर तुम्हारी मदद करूं। मैंने कहा कि एक पुरुष खिलाड़ी मेरी मदद करे, तो यह अच्छा है। वह दो सप्ताह बहुत अलग थे। मैंने कभी किसी को अपने ऊपर इस तरह से चिल्लाते नहीं देखा।’

साइना ने अपने कोच पुलेला गोपीचंद को कहा शुक्रिया
साइना ने जीत के लिए गोपीचंद का भी शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा, ‘जाहिर सी बात है कि गोपी सर ने काफी मदद की। वह हर सत्र के बाद मुझसे बात कर रहे थे। पूरी टीम के संयुक्त प्रयास से हम एशियाई खेलों में पदक जीत सके। मेरे लिए यह बड़ी बात थी क्योंकि मेरे पास एशियाई खेलों का कोई पदक नहीं था।’ साइना को एशियाई खेलों में कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था। सायना ने ताइवान की ताइ जू यिंग को अपना सबसे कड़ा प्रतिद्वंद्वी बताया। उनके मुताबिक यिंग को हराना बेहद मुश्किल है। लंदन ओलम्पिक-2012 की कांस्य पदक विजेता साइना ने कहा, ‘मेरा मानना है कि आंकड़े काफी कुछ बता देते हैं और इसमें यिंग आगे हैं। वह बेहद चतुर खिलाड़ी हैं। वह बैडमिंटन की रोजर फेडरर हैं। ढाई-तीन साल तक शीर्ष पर रहना आसान नहीं है। वह अपने खेल में पूर्ण हैं। ऐसा नहीं है कि उन्हें हराया नहीं जा सकता। हम इस पर काम कर रहे हैं, लेकिन यह आसान नहीं है।’

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